राग - भूपाली
थाट - कल्याण
जाती - औडव- औडव
वादी ग
सम्वादी - ध
स्वर - सभी शुद्ध स्वर
वर्जित स्वर - म नि
न्यास के स्वर ग प ध
समय - रात्रि का प्रथम प्रहर
सम प्रकृतिक राग - देशकार
आरोह - सा रे ग प ध सां
अवरोह - सां ध प ग रे सा
पकड़ - सा ध रे सा, ग रे ग ,प , ग ध , प , ध सां , ध रें सां l
यह पूर्वांग प्रधान राग हैं , इसका चलन मंद्र और मध्य सप्तक में अधिक पाया जाता हैं क्षीण भारतीय संगीत में इसे राग मोहनम के नाम से जाना नाता हैं इस राग में ध रे सा संगति प्रमुख हैं इसका विस्तार तार सा में अल्प ही होता हैं इसमें श्रंगार रसब प्रधान बंदिशे अति मधुर लगती हैं यदि राग के उत्तरांग में धैवत को प्रबल कर दिया जाये तो इसमें देशकार की छांया आ जाती हैं देशकार , जैत कल्याण , और शुद्ध कल्याण तीनो एक दूसरे से मिलते जुलते राग ही हैं
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