राग -भीमपलासी
थाट - काफी
जाति - ओड़व - संपूर्ण
वादी- म
संवादी - सा
स्वर- ग नि
वर्जित स्वर -आरोह में रे ध
समय - दिन का तीसरा प्रहर
प्राकृतिक राग - बागेश्री
आरोह - नि सा ग म प नि सां
अवरोह - सां नि ध प, म प ग, म ग, रे सा
पकड़ -नि सा म ,म प ग , म ,ग ,रे सा
यह बहुत ही मधुर और लोकप्रिय राग है यह दो रागों भीम + प्लासी के मिश्रण से बना है यह गंभीर प्रकृति का राग है इसका चलन तीनों सप्तको में है परंतु मंद्र सप्तक में अधिक खिलता है यह पूर्वांग प्रधान राग है इसमें ध्रुपद धमार खयाल तराने आदि रचनाएं गाई जाती है जो भक्ति और श्रंगार रस से परिपूर्ण होती है इसमें स म प नि स्वरों स्वरूप का वैचित्र्य उत्पन्न करता है राग में सा म और प ग की संगति देखने को मिलती है
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