थाट - काफी
जाति- ओड़व - सम्पूर्ण
वादी- म
सम्वादी- सा
स्वर -ग ,नि कोमल शेष शुद्ध
वर्जित स्वर -आरोह में रे प
समय - रात्रि का दूसरा प्रहर
यह एक गंभीर प्रकृति का राग है मधुर एक मधुर और कर्णप्रिय राग होने के कारण उप शास्त्रीय संगीत शैली में और सुगम संगीत में इसकी अनेक बंदिशें देखने को मिलती है बागेश्वरी में धनश्री और कान्हड़ा का योग माना जाता हैं इस राग की जाति के विषय में विद्वानों में मतभेद पाया जाता हैं इसका चलन तीनों सप्तकों में समान रूप से होता है। ग्रंथों में इसका सम प्राकृतिक राग श्रीरंजनी को बताया जाता है।
0 comments:
Post a Comment