बिलासखानी तोड़ी

राग -बिलासखानी तोड़ी
ठाट -भैरवी 
जाती - षाड़व -सम्पूर्ण 
वादि -  
सम्वादी-  
स्वर- रे,,,नि 
वर्जित स्वर -आरोह में म
समय - दिन का दूसरा प्रहर 
न्यास के स्वर -, प , 
समप्रकृतिक राग-भैरवी 
  इस  राग के स्वर भैरवी जैसेेेेेे हैं परंतु इसका चलन तोड़ी जैसा है वर्तमान समय में यह राग काफी प्रचार में है इसके आरोह में नि अल्प होता है और इसका गंधार अति कोमल होता है इस राग कि जाति  विषय में विद्वानों में मतभेद पाया जाता है कुछ विद्वान इसकी जाति षाड़व -षाड़व तो कुछ इसे सम्पूर्ण- सम्पूर्ण जाती का मानते हैं 
 बिलासखानी तोड़ी का निर्माण तानसेन के पुत्र विलास खान के द्वारा किया गया है इसके संबंध में यह कथा
प्रचलित है कि गिलास खान ने तानसेन के कहने पर इस राग को गाकर कुछ समय के लिए तानसेन को जीवित कर लिया था  कुछ समय पहले तक यह  राग इतना प्रचलित नहीं था परन्तु आजकल यह राग बहुत ही प्रचलित राग हैं 

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