एक सप्तक तीन प्रकार के होते है प्रत्येक सप्तक सात स्वरों का बना होता है और प्रत्येक सप्तक एक दूसरे से अलग होता है एक ही स्वर की आवाज एक सप्तक
में अलग तथा दूसरे सप्तक में अलग होती है अर्थात एक सप्तक दूसरे सप्तक से उचा या निचा होता है इस प्रकार संगीत में सप्तकों की संख्या तीन होती है और
इनकी अलग पहचान है लिए कुछ चिन्हो का प्रयोग किया जाता है जिससे यह पहचान हो सके की सम्बन्धित स्वर कौन से सप्तक का है
सप्तक तीन प्रकार के होते है
सप्तक तीन प्रकार निम्नलिखित है
1. मन्द्र सप्तक
2. मध्य सप्तक
3. तार सप्तक
1. मन्द्र सप्तक -
जिन स्वरों का गायन साधारण आवाज से नीची आवाज में किया जाता है वे स्वर मन्द्र सप्तक के स्वर होते है
इन स्वरों के गायन से ह्रदय पर जोर पड़ता है मन्द्र सप्तक के स्वरों को बताने के लिए स्वरों के निचे एक बिंदु लगाई जाती है
जैसे :- नि ध प ध ~~सा
2.मध्य सप्तक :-
जैसे की नाम से स्पष्ट है की मध्य यानि बीच की आवाज, जो न अधिक ऊँची हो और न अधिक नीची |इन स्वरों को गाने पर अधिक जोर नहीं लगाना पड़ता
| इन स्वरों को अपनी साधारण आवाज में आसानी से गाय जा सकता है इन स्वरों को बतानी और दिखानी के लिए किसी प्रकार के चिन्ह लगाने की आवश्यकता नहीं होती जैसे :- सा रे प |
3.तार सप्तक :-
तार सप्तक में स्वर साधारण आवाज से उची आवाज में गाये जाते है इन स्वरों के गायन से मस्तिष्क पर जोर पड़ता है इन स्वरों की आवाज मध्य सप्तक से दुगनी ऊँची होती है
इन स्वरों की पहचान के लिए स्वरों के ऊपर एक बिंदु लगाई जाती है उदाहरण के लिए रे, ग ,
सप्तक में सात स्वर होते है ,सा से लेकर नि तक इन सात स्वरों के समूह को सप्तक कहते है
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